उनसे मिलकर उदास होना था
अब ना हमसे मिला करे कोई
हर फूल की जुबां में कांटें हैं
कहाँ तक उनसे बचा करे कोई
उम्रकैदी हैं हम रिवाजों के
कैसे खुद को रिहा करे कोई
मैं भी जीती हूँ जिन ख्यालों में
डर है उनको ना छीन ले कोई
क्यूँ चलूंगी मैं किसी की राहों पर
अपनी मंजिल तो और है कोई ....