रविवार, 23 अगस्त 2009

उनसे मिलकर उदास होना था

उनसे मिलकर उदास होना था
अब ना हमसे मिला करे कोई
 
हर फूल की जुबां में कांटें हैं
कहाँ तक उनसे बचा करे कोई
 
उम्रकैदी हैं हम रिवाजों के
कैसे खुद को रिहा करे कोई
 
मैं भी जीती हूँ जिन ख्यालों में
डर है उनको ना छीन ले कोई
 
क्यूँ चलूंगी मैं किसी की राहों पर
अपनी मंजिल तो और है कोई ....
 

शनिवार, 15 अगस्त 2009

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ

अरुण सुनहरी उषा आई !
अगणित वीरों का त्याग लिए
भूतल में तरुण प्रकाश लिए
रातों के बंधन पट खोले
मंथर गति से लहराई
अरुण सुनहरी उषा आई
 
जिसकी पावन किरणों ने
सबके मन को बाँध लिया 
ममता की जंजीरों से वह 
हमको आज जकड़ने आई 
अरुण सुनहरी उषा आई 
 
यही गुलामी की जंजीरें 
भारत मान के कंठ पड़ीं जब 
विवश खड़ी वह  कोने में तब
अश्रु नैनों में भर लाई
अरुण सुनहरी उषा आई
 
पर माता के लाल करोड़ों
अविरल आंसू देख ना पाए
'भारत छोड़ो' वीरों के स्वर भरी
एकता सन्मुख आई
यहीं  क्रांतिमय उषा आई
 
गए फिरंगी भारत माता
की जय हो , जय गान किया
माला फूलों की पहनाने
नवरंगों में उषा आई
अरुण सुनहरी उषा आई
 
आजादी के वातायन में
एक विचार उठा यह मन में
हम सब मिल कर एक रहेंगे
बने एकता यह सुखदाई
अरुण सुनहरी उषा आई .....
 
 

शनिवार, 8 अगस्त 2009

तुमने बुलाया पास

तुमने बुलाया पास
स्तब्ध हृद आकाश
घुमड़ घुमड़ घिर गए
बह चला हवा का
तीव्र झोंका.
युग संचित स्वप्न से
अकस्मात जाग गया
बिखरे रज कणिक से
विचारों को
वह बहा कर ले गया.
मेरे कानों में चुपके से
धीरे से
कुछ मुस्का कर
शर्माता सा
बोला, वह
यह उदासी किसलिए ?
मुझ पर रखो विश्वास
ले चलूँगा पलक मारे
आज तुमको
मैं प्रिया के पास ...