पिया तेरी प्रीत जीवन संवार गयी
चमचमाती धूप घने कोहरे को छाँट गयी
माथे अनुराग का टीका सजाए बैठी हूँ
घूंघट मैं लाज का, आँखों में छिपाए बैठी हूँ
हंसी तेरी, रूप मेरा कैसे निखार गयी
पिया तेरी प्रीत जीवन संवार गयी
हाथों में बंधन का रूप नहीं कंगन ये
जिसका ना छोर कोई, ऐसा गठबंधन ये
लगे मुझे संग तेरे हर दिन हर रात नई
पिया तेरी प्रीत जीवन संवार गयी
उलझन से दूर मैंने केशों को गूंथा है
तेरे साथ खुशियों का हर क्षण अनोखा है
इसी बात पर ना कभी लोगों की आँख गयी
पिया तेरी प्रीत जीवन संवार गयी
जितना निर्बाध है ये गंगा का पानी
उतनी स्वच्छंद मेरे प्यार की कहानी
बिना कहे, बिना सुने घर - घर के द्वार गयी
पिया तेरी प्रीत जीवन संवार गयी
तू ही मेरे धर्म, तेरा प्यार मेरी पूजा है
बाकी जो देखा, वो आँखों का धोखा है
हर नज़र में सांस तेरी आरती उतार गयी
पिया तेरी प्रीत जीवन संवार गयी