तुमने बुलाया पास
स्तब्ध हृद आकाश
घुमड़ घुमड़ घिर गए
बह चला हवा का
तीव्र झोंका.
युग संचित स्वप्न से
अकस्मात जाग गया
बिखरे रज कणिक से
विचारों को
वह बहा कर ले गया.
मेरे कानों में चुपके से
धीरे से
कुछ मुस्का कर
शर्माता सा
बोला, वह
यह उदासी किसलिए ?
मुझ पर रखो विश्वास
ले चलूँगा पलक मारे
आज तुमको
मैं प्रिया के पास ...
umda kavita...........
जवाब देंहटाएंवाह क्या अनुभूति है
जवाब देंहटाएंफुसफुसाना हवा का
आना जाना
महकाना नियति है
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआभार/ मगल भावनाऐ
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
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ले चलूँगा पलक मारे
जवाब देंहटाएंआज तुमको
मैं प्रिया के पास ...
sunder bhav kee rachanaa. behatareen
'बिखरे रज कणिक से
जवाब देंहटाएंविचारों को
वह बहा कर ले गया. '
- सुन्दर.
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
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