शनिवार, 13 जून 2009

ब्लोगिंग के क्षेत्र में यह मेरा पहला कदम

साथियों ..अपनी बेटी शेफाली के आग्रह पर..ब्लोगिंग के क्षेत्र में यह मेरा पहला कदम है आप लोगों का प्रोत्साहन मिलेगा तो शायद इस उम्र में फिर से लिखने की इच्छा जाग्रत होगी . ..
आज पहले दिन मैं अपनी मनपसंद ग़ज़ल प्रस्तुत कर रही हूँ ...ग़ज़ल के तौर तरीकों से वाकिफ नहीं हूँ फिर भी लिखती रहती हूँ ..
 
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हिन्दी ग़ज़ल - सपने
 
सोयी हुई यादों को अब और जगाना क्या
मेहमान बने सपने, सपनों का ठिकाना क्या
 
जीवन है क्षण-भंगुर, गिनती की साँस चले
खुशियों को उलझन की बातों से गंवाना क्या 
 
मैंने तो हँसी चाही, आँसू क्यों चले आए
आंखों से बड़ा बैरी, होगा ये ज़माना क्या 
 
क्यों बाँध रहे हो तुम उम्मीद की डोरी से
उड़ जायेगा मन पंछी, पिंजरे को सजाना क्या 
 
क्या खोज रहा कोई चेहरे की उदासी में
मिलना ही बिछड़ना है, रोने का बहाना क्या 
 
अपनों की बस्ती में हमदर्द नहीं कोई
सब दर्द के रिश्ते हैं, रिश्तों को रिझाना क्या 
 
मुश्किल है जहाँ मंज़िल, उस राह से गुज़री हूँ
मन चाहा हमराही, आसान है पाना क्या?
 
बुझते हुए दीपक की लौ, किसने बढ़ा दी है
कुछ पल ही जले आख़िर, जलते को बुझाना क्या
 

16 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लागिंग जगत में आपका स्वागत है. हिंदी में खूब लिखते रहिये.

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  2. yadi ye aagaaj hai to andaaj kaisaa hoga..?

    bahut swaagat hai aapkaa..aur apnee putree ko dhanyavaad kahein hamaaree taraf se ..anyathaa aapkee lekhanee se vanchit rah jaate..

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  3. अपनों की बस्ती में हमदर्द नहीं कोई
    सब दर्द के रिश्ते हैं, रिश्तों को रिझाना क्या

    --वाह वाह!!

    बहुत स्वागत है आपका हिन्दी ब्लॉगजगत में इस बेहतरीन गज़ल के साथ. नियमित लिखें. हमारी शुभकामनाऐं.

    -अब तो शैफाली जी का भी आभार कहना पड़ेगा कि वो आपको यहाँ लेकर आई.

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  4. सोयी हुई यादों को अब और जगाना क्या
    मेहमान बने सपने, सपनों का ठिकाना क्या
    bahut khoob
    sunder rachana

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  5. क्यों बाँध रहे हो तुम उम्मीद की डोरी से
    उड़ जायेगा मन पंछी, पिंजरे को सजाना क्या

    वाह बहुत गहरी और सार्थक अभिव्यक्ति...शुक्रिया आपकी बेटी शेफाली का जिसकी वजह से हम इतनी अच्छी ग़ज़ल पढ़ पाए...
    नीरज

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  6. दीपा जी आपका हार्दिक स्वागत है। शैफाली जी के हम सब आभारी हैं कि वे आपको यहाँ ले आईं।
    बहुत सुन्दर रचना है।
    घुघूती बासूती

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  7. स्वागत है आपका।सुन्दर रचना।इसे कहते है शानदार एण्ट्री।

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  8. तहेदिल से स्वागत है। मिलना ही बिछड़ना है, रोने का बहाना क्या।
    खुश होने का बहाना तो है। आप आईं हैं।

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  9. शैफाली जी का आभार जिनकी वजह से हमें इतनी सुन्दर ग़ज़ल पढने का सुअवसर मिला

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  10. बहुत सुंदर रचना. अब आप इस उम्र मे नही लिखेंगी तो कब लिखेंगी? हम लोग भी तो अभी लिखना शुरु किये हैं. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. अब पता चला कि
    शेफाली के लेखन के तेवर
    कहां से आए हैं
    आपकी रचना बहुत उत्‍तम है।
    बधाई।

    आज आपका ब्‍लॉग ब्‍लॉगवाणी में भी नए ब्‍लॉग्‍स की सूची में दिखलाई दे रहा है, इसके लिए दोबारा बधाई।

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  12. keep it up, improve input by good reading, write , write and write

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